मातु पिता भ्राता सब कोई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥ दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥ अर्थ- हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से https://manuelzltht.wikipublicist.com/4737750/the_fact_about_shiv_chalisa_lyrics_aarti_that_no_one_is_suggesting